Sunday, December 26, 2010

दर्द में भी यह लब मुस्कुरा जाते है...

दर्द में भी यह लब मुस्कुरा जाते है
बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं...
बीते लम्हें……

चंद लम्हात के वास्ते ही सही
मुस्कुराकर मिली थी मुझे जिंदगी..
तेरी आगोश में दिन थे मेरे कटे
तेरी बाहों में थी मेरी रातें कटी..
आज भी जब वो पल मुझको याद आते हैं
दिल से सारे ग़मों को भुला जाते हैं...

दर्द में भी यह लब मुस्कुरा जाते है
बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं...

मेरे काँधे पे सर को झुकाना तेरा
मेरे सीने में खुद को छुपाना तेरा..
आके मेरी पनाहों में शामो सेहर
कांच की तरह वो टूट जाना तेरा
आज भी जब वो मंज़र नज़र आते हैं
दिल की वीरानियों को मिटा जाते हैं

दर्द में भी यह लब मुस्कुरा जाते है...
बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं...
बीते लम्हें……