
धड़्कते दिल के पैगाम सुनो..
कि एक मुद्दत हुई तुम्हे ये राज़ जताते हुए. ..
एक शाम मेरे नाम करो आज..
की एक अरसा हुआ तुम्हे पास बुलाते हुए..
हो सके तो एक महफिल मुझे दे दो..
की उब चुके है उम्र यु हीं तनहा बिताते हुए...
गर तुम आ सको तो लौट आओ मेरी ज़िन्दगी में...
की खत्म हो रहे हैं अब सब बहाने..
इस ज़िन्दगी को आज़माते हुए..
कि एक मुद्दत हुई तुम्हे ये राज़ जताते हुए. ..
एक शाम मेरे नाम करो आज..
की एक अरसा हुआ तुम्हे पास बुलाते हुए..
हो सके तो एक महफिल मुझे दे दो..
की उब चुके है उम्र यु हीं तनहा बिताते हुए...
गर तुम आ सको तो लौट आओ मेरी ज़िन्दगी में...
की खत्म हो रहे हैं अब सब बहाने..
इस ज़िन्दगी को आज़माते हुए..
5 comments:
It’s too touching, keep it up...
wow now where did this absolute blinder come from :)
Amazing as usual bro :)
Sajal Bro - Thanx dude, bas aa gaya....
Don't know, how come you became a poet :-)
BADE BHIYA AAP AB BUS BHUL JAIYE OR FIR SAY JINDGI SURU KIJIYE
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